बड़ा खुलासा: अमेरिका के पैसों से तैयार हुआ मौत का वायरस कोरोना!
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो कोरोना को बार-बार चीनी वायरस कह कर पुकारते नहीं थकते. मगर खौला देने वाला सच ये है कि चमगादड़ पर रिसर्च करने के लिए खुद अमेरिका वुहान के उसी लैब को पिछले पांच सालों से फंड दे रहा है.
- खुला कोरोना वायरस का सबसे बड़ा राज
- अमेरिका ने दिया था रिसर्च के लिए फंड
अमेरिका से लेकर पूरी दुनिया चीन की 64 साल पुरानी वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी लैब को कोरोना वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार मान रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप तो कोरोना को बार-बार चीनी वायरस कह कर पुकारते नहीं थकते. मगर खौला देने वाला सच ये है कि चमगादड़ पर रिसर्च करने के लिए खुद अमेरिका वुहान के उसी लैब को पिछले पांच सालों से फंड दे रहा है. 2015 से अब तक अमेरिका वुहान की इस लैब को 3.7 मीलियन डॉलर फंड दे चुका है. इतना ही नहीं 2014 तक खुद अमेरिका कोरोना पर रिसर्च करना चाहता था. मगर फिर सुरक्षा कारणों से इसे अमेरिका के बाहर वुहान की लैब में कराने का फैसला लिया गया.
अमेरिका के एक खास शख्स हैं, जिनका नाम डॉक्टर एंथनी फाउची है. वह पिछले 35 सालों से अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीसेज़ यानी NIAID के डॉयरेक्टर हैं. जॉर्ज बुश, रोनल्ड रीगन, बिल क्लिंटन, बराक ओबामा और अब डोनल्ड ट्रंप समेत पांच-पांच अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ काम कर चुके हैं. फिलहाल कोरोना की लड़ाई अमेरिका में इन्हीं की निगरानी में लड़ी जा रही है.
अब हैरान होने के लिए तैयार हो जाइए. डाक्टर एंथनी फाउची ने ये बात जानते हैं कब कही थी? सवा तीन साल पहले. जनवरी 2017 में. ठीक उसी वक्त अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप ने नए राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. यानी सवा तीन पहले ही डाक्टर फाउची ने ये कह दिया था कि अमेरिका की नई सरकार यानी ट्रंप के कार्यकाल में एक भयानक संक्रामक बीमारी आएगी और लीजिए कोरोना आ गया. अब सवाल ये है कि डाक्टर फाउची को कैसे पता था कि इस तरह की एक ऐसी बीमारी आने वाली है जिसकी चपेट में पूरी दुनिया आ जाएगी?
तो इसका जवाब जानने से पहले एक ऐसा सच सुन लीजिए जिसे सुनने के बाद कोरोना वायरस के जन्म और जन्मदाता को लेकर अब तक की आपकी सारी गलतफहमी ही दूर हो जाएगी. चीन के जिस वुहान शहर से कोरोना का वायरस फैला और वुहान के जिस वायरोलॉजी लैब से इसके लीक होने की खबर आ रही है जानते हैं, वुहान के उस लैब को चमगादड़ पर रिसर्च के लिए फंड कौन दे रहा था? किसकी सिफारिश से ये फंड पास हुआ? तो चौंकने के लिए तैयार हो जाइए. वो कोई और नहीं बल्कि अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीसेज़ यानी NIAID के यही डायरेक्टर डॉक्टर एंथनी फाउची हैं.
डॉक्टर एंथनी फाउची ने 2017 में ही इस पैनेडमिक की भविष्यवाणी कर दी थी. इन्हीं की सिफारिश पर 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वुहान वायरोलजी लैब को 3.7 मिलियन डॉलर यानी करीब 28 करोड़ करोड़ रुपए का फंड दिया था. यह फंड कोरोना वायरस पर रिसर्च के लिए था और ये फंड ट्रंप के कार्यकाल में भी जारी रहा.
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