सस्ता होगा लोन, तीन महीने और जारी रहेगी ईएमआई न भरने की मोहलत
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास प्रेस कांफ्रेंस: कोरोना संकट को देखते हुए मोदी सरकार ने करीब 21 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था. अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट कटौती का ऐलान किया है.
- RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट कटौती का ऐलान किया है
- साथ ही लोन की किस्त देने पर 3 महीने की अतिरिक्त छूट दी गई
कोरोना संकट को देखते हुए मोदी सरकार ने करीब 21 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था. देश के सामने इस पैकेज का ब्यौरा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रख चुकी हैं. अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट कटौती का ऐलान किया है. इस कटौती के बाद आरबीआई की रेपो रेट 4.40 फीसदी से घटकर 4 फीसदी हो गई है. इसके साथ ही लोन की किस्त देने पर 3 महीने की अतिरिक्त छूट दी गई है. मतलब कि अगर आप अगले 3 महीने तक अपने लोन की ईएमआई नहीं देते हैं तो बैंक दबाव नहीं डालेगा.
रेपो रेट में 0.40 फीसदी की कटौती
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि पिछले तीन दिन में एमपीसी ने घरेलू और ग्लोबल माहौल की समीक्षा की. इसके बाद रेपो रेट में 0.40 फीसदी की कटौती का फैसला लिया गया है. लॉकडाउन में यह दूसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट पर कैंची चलाई है. इससे पहले 27 मार्च को आरबीआई गवर्नर ने 0.75 फीसदी कटौती का ऐलान किया था. इसके बार बैंकों ने लोन पर ब्याज दर कम कर दिया था. जाहिर सी बात है कि इससे आपकी ईएमआई भी पहले के मुकाबले कम हो गई है.
EMI पर तीन महीने की अतिरिक्त छूट
आरबीआई ने लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बैंकों से 3 महीने के लिए लोन और ईएमआई पर छूट देने को कहा था. इसके बाद अधिकतर बैंकों ने इसे 3 महीने के लिए लागू कर दिया था. अब आरबीआई के नए 3 महीनों के लिए मोहलत के ऐलान के बाद ग्राहकों को कुल 6 महीने की छूट मिल जाएगी. मतलब ये कि आप कुल 6 महीने तक लोन की ईएमआई नहीं देना चाहते हैं तो बैंकों की ओर से कोई दबाव नहीं पड़ेगा. वहीं, आपका क्रेडिट स्कोर भी दुरुस्त रहेगा. यानी बैंक की नजर में आप डिफॉल्टर नहीं होंगे. हालांकि, इसके लिए आपको अतिरिक्त ब्याज देनी पड़ेगी
आरबीआई गवर्नर की बड़ी बातें
- पहली छमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 2020-21 में निगेटिव रहेगी. हालांकि साल के दूसरे हिस्से में ग्रोथ में कुछ तेजी दिख सकती है.
- रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है
- लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट, छह बड़े औद्योगिक राज्यों में ज्यादातर रेड जोन रहे
- मार्च में कैपिटल गुड्स के उत्पादन में 36 फीसदी की गिरावट
-कंज्यूमर ड्यूरेबल के उत्पादन में 33 फीसदी की गिरावट
-औद्योगिक उत्पादन में मार्च में 17 फीसदी की गिरावट
- मैन्युफैक्चरिंग में 21 फीसदी की गिरावट. कोर इंडस्ट्रीज के आउटपुट में 6.5 फीसदी की कमी.
-खरीफ की बुवाई में 44 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है
-खाद्य महंगाई फिर अप्रैल में बढ़कर 8.6 फीसदी हो गई
-दालों की महंगाई अगले महीनों में खासकर चिंता की बात रहेगी
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